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Dil ki kalam se

चले जो आँधी तो तिनका तिनका,
बिखर जाए आशियाँ का लेकिन,
जो तोड़ दे मेरे हौसले को,
अभी वो तूफाँ उठा नही है।
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क्या हुँ मैं और क्या समझते हैं, सब राज नहीं होते बताने वाले,
कभी तन्हाइयों में आकर देखा, कैसे रोते हैं औरों को हँसाने वाले।
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सोचता हूँ उसे नींद भी आती होगी,
या मेरी तरह फक़त अश्क बहाती होगी,
इस जमीं पर भी हैं शैलाब मेरी अश्कों से,
मेरे मातम की सदा अर्श हिलाती होगी,
होती होगी मेरे बोसे की तलब में पागल,
जब भी जु़ल्फों में कोई फूल सज़ाती होगी,

दिल की मासूम रगें खुद ही सुलगती होंगी,
ज्यों ही तस्वीर का कोना वो जलाती होगी।
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चाँदनी रात में बरसात बुरी लगती है,
घर में लाश हो तो बारात बुरी लगती है,
मेरे दिल की बातों को तू क्या जाने,
दिल में दर्द हो तो हर बात बुरी लगती है।
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मरने के बाद भी मेरी आँखें खुली रही,
आदत जो पड़ गई थी तेरे इंतज़ार की।
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न जाने क्यों इस जहाँ में ऐसा होता है,
खुशी जिसे मिले वही रोता है,
उम्र भर साथ निभा न सके जो,
जाने क्यों प्यार उसी से होता है।
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जबसे लगा है तनहाई का रोग मुझे,
एक-एक कर छोड़ गये सब लोग मुझे,
रोज़ आ जाता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने,
एक शख्स कि जिसको मैंने कभी भुलाया ही नहीं।
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टूटे हुए दिलों की दुआ मेरे साथ है,
दुनिया तेरी तरफ है, खुदा मेरे साथ है,
आवाज घुँघरुओं की, नहीं हैं तो क्या हुआ,
सागर के टूटने की सदा मेरे साथ है,
तनहाई किसको कहते हैं, मुझे पता नही,
क्या जाने किस हसीन की दुआ, मेरे साथ है।
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तन्हाई किसी का इन्तेजार नही करती,
किश्मत कभी भी बेवफाई नही करती,
उनसे दूर होने का असर है वरना,
परछाई कभी जिश्म पर वार नही करती।
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आज की रात चैन से सोने की शर्त रख दी उन्होंने,
क्या पता आज की रात हम कैसे सोए,
जिनकी खातिर तड़पे हैं हम, गरमी की धूप में,
आज उसी मंजर का एहसास कर के रोए।

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